मार्च 2000 में आयोजित होने वाली मण्डल की कक्षा 10वीं एवं 12वीं की परीक्षाओं में लगभग 20 में में लाख परीक्षार्थी शामिल होना संभावित है जिनकी का मूल्यांकन समय सीमा में किया जाना है। उक्त कार्य अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील स्वरूप का है। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन हेतु 51 जिला मुख्यालयों के मूल्यांकन केन्द्रों पर हाईस्कूल परीक्षा के लिये लगभग 14000 एवं हासे परीक्षा के लिये 6000 परीक्षकों की आवश्यकता होगी। उपरोक्त कार्य की संवेदनशीलता एवं गंभीरता को ध्यान में रखते हुये सुयोग्य परीक्षकों के चयन एवं उनकी नियुक्ति निम्नानुसार कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति के द्वारा पूर्व वर्षों में की जाती नहीं है। इसी प्रकार वर्तमान शैक्षणिक सत्र के लिये समिति निम्नानुसार है:-
कलेक्टर | अध्यक्ष |
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत | सदस्य |
संभागीय अधिकारी, माशिम | सदस्य |
जिला समन्वयक संस्था प्राचार्य | सदस्य |
प्राचार्य डाईट | सदस्य |
जिले के समस्त विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी | सदस्य |
जिला शिक्षा अधिकारी/सहायक आयुक्त | सदस्य सचिव |
मूल्यांकनकर्ताओं के चयन हेतु निम्नानुसार मापदण्ड निर्धारित किये गये हैं:-
आदिवासी उपयोजना के क्षेत्र के लिये जिन जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग को शालार्य संचालित की जा रही है उन जिलों में जिला शिक्षा अधिकारी के स्थान पर सहायक आयुक्त / जिला संयोजक आजक को सदस्य सचिव नियुक्त किया जाता है।
- यथासंभव पांच वर्ष एवं कम से कम तीन वर्ष के अध्यापन कार्य के अनुभवी शिक्षकों का ही चयन किया जाये।
- संविदा शिक्षक एवं अध्यापक संवर्ग के शिक्षक जो कम से कम निररत वर्ष अध्यापन कार्य कर रहे हो उनकी सेवायें भी परीक्षकों के रूप में ली जा सकती है।
- ऐसे सहायक शिक्षक जो स्नातक एवं स्नातकोत्तर हो एवं निरंतर तीन वर्षों से कक्षा 10वीं एवं 12वीं में अध्यापन कार्य कर रहे हो को भी परीक्षकों के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
- हाईस्कूल परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं में परीक्षाकों के लिये नफ एवं हासे परीक्षा की उपु के मूल्यांकन हेतु परीक्षकों को संबंधित विषय में स्नातकोत्तर होना अनिवार्य होगा।पूर्व में परीक्षकों के रूप में कर्तव्य निर्वहन में कोई लापरवाही नहीं की गई है। अथवा उक्त कार्य से प्रतिबंधित नहीं किया गया हो।
- अशासकीय शिक्षण संस्थाओं के उन शिक्षकों को परीक्षक के रूप में चयनित किया जाये जिन्होंने संस्था में लगातार यथा संभव पांच वर्ष कम से कम तीन वर्ष तक संतोष जनक कार्य किया हो। इस आशय का अध्यापन प्रमाण पत्र प्राप्त करने के उपरान्त एवं संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी एवं प्राचार्य समन्वयक संस्था द्वारा अनुभव प्रमाण पत्र की जांचोपरान्त अनुभव प्रमाण के आधार पर
परीक्षक नियुक्त किया जा सकता है। - उपरोक्त मापदण्ड सैद्धातिक/प्रायोगिक परीक्षा के लिये समान रूप से लागू होंगे।

उपरोक्त कार्य हेतु अनुभवी एवं योग शिक्षकों का ही चयन हो:-
यह सुनिश्चित किये जाने के लिये निर्णय लिया गया है कि सी.बी.एसई या कुछ अन्य राज्यों की तरह म.प्र. में भी प्रत्येक जिले को पिछले पाँच वर्ष में शासकीय सेवा से सेवा निवृत्त होकर निवासरत योग्य एवं इच्छुक शिक्षकों के दीर्घ अनुभवों योग्यता का लाभ लिये जावे ऐसे करने से योग्य एवं अनुभवी एवं विश्वसनीय परीक्षकों की कमी का भी निदान हो सकेगा। इस हेतु जिला शिक्षा अधिकारी / सहायक आयुक्त/ जिला संयोजक कार्यालय से पिछले पांच वर्षों में सेवा निवृत्त हुये शिक्षकों/प्राचार्यों के नाम एवं पतकर उनकी लिखित सहमति प्राप्त कर चयन एवं नियुक्ति का कार्य भी उपरोक्त समिति के अनुमोदन से किया जाये। उपरोक्त समिति की बैठक आयोजित कर परीक्षावार/विषयवार परीक्षकों का चयन करने की कार्यवाही 20/01 / 2120 तक अनिवार्य रूप से पूर्ण कर ली जाये। जिला शिक्षा अधिकारी मूल्यांकनकर्ताओं के चयन के उपरोक्त मापदण्डों के आधार पर विषयवार सूची तैयार करेंगे एवं उक्त सूची को जिले की समन्वयक संस्था को अग्रेषित करेगे समन्वय संस्था प्राचार्य का दायित्व होगा कि एम पी ऑनलाइन के पोर्टल पर समन्वयक संस्था के लागिन के माध्यम से शासकीय/अशासकीय मान्यता प्राप्त संस्था कोड के आधार पर वे प्रत्येक परीक्षक के आवेदन पत्र की एन्ट्री सुनिश्चित करेंगे। ऑनलाईन प्रविष्टि दिनांक 25/01 / 2020 तक आवश्यक रूप से पूर्ण कर ली जाये। परीक्षक की जानकारी भरवाये जाने हेतु प्रारूप संलग्न है। इस प्रारूप में जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा प्राप्त की जाकर अपने प्रमाणीकरण उपरांत संबंधित समन्दपक संस्था प्राचार्य को उपलब्ध कराई जायेग।
महत्वपूर्ण जानकारियाँ —
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